बहुत से साधक स्वतः होने वाली यौगिक क्रियायें या शारीरिक हलचल महसूस करते हैं जैसे हिलना डुलना, आगे या पीछे की ओर झुकना, इधर से उधर सिर का हिलाना, पेट का आगे की ओर फूलना या अन्दर की ओर पिचकना, हाथों की असंयमित गति, फर्श पर दण्डवत् लेट जाना, ताली बजाना, हंसना, रोना और चिल्लाना आदि।